तुम्हारा यूं मिलना कोई इत्तेफाक ना था, और मैं तुम्हें अपने सपनों में पुकारता हूँ। غزل: بلکتے بچوں کو جا کے دیکھوں بِلکتے بچوں کو جا کے دیکھوں، بے گور لاشے اُٹھا کے دیکھوں राहत इंदौरी की दर्द भरी शायरियाँ कुछ इस प्रकार हैं – कितने ऐश से रहते होंगे https://youtu.be/Lug0ffByUck